उस गांठ से छोटे-छोटे सेल्स टूटकर बाकी शरीर में फैल रहे हैं.

जब इस तरह की गांठ थायरॉइड ग्रंथि में बनती है तो उसे थायरॉइड कैंसर कहते हैं.
थायरॉइड कैंसर दो प्रकार के होते हैं.
एक है डिफॅरेन्शिएटेड थायरॉइड कैंसर.
दूसरा है एनाप्लास्टिक थायरॉइड कैंसर.
एनाप्लास्टिक थायरॉइड कैंसर कम लोगों में होता है पर ये बहुत अग्रेसिव बीमारी है.
ये बहुत तेज़ी से फैलने वाली बीमारी है.
डिफॅरेन्शिएटेड थायरॉइड कैंसर ज़्यादा कॉमन है. पर धीरे-धीरे ग्रो करता है इसलिए इसका इलाज अच्छे से हो जाता है

कारण :
थायरॉइड कैंसर होने के तीन मुख्य कारण हैं
- पहला. हमारे देश में आयोडीन की कमी है. आयोडीन की कमी के कारण घेंघा बनता है. कुछ लोगों में आगे जाकर ये कैंसर में तब्दील हो जाता है.
- दूसरा कारण है जेनेटिक
- तीसरा कारण है रेडिएशन एक्सपोज़र. जैसे बचपन में कोई ट्रीटमेंट हुआ हो जिसमें रेडियोथरैपी दी गई हो. आगे चलकर के कैंसर बनने की आशंका बन जाती है.

लक्षण :
खाना निगलने में दिक्कत हो जाती है.
कभी-कभी आवाज़ भी बदल जाती है.
जैसे बाकी कैंसर में होता है. थायरॉइड का कैंसर लिम्फ़ नोड्स, लंग्स और हड्डियों में फैलता है.
जब कैंसर लिम्फ़ नोड्स में फैलता है गर्दन में और भी गांठे हो जाती हैं….. आदि