जानिए किस प्रकार आपके सेहत का राज़ जुड़ा है आपके सेहत से

लाइव हिंदी खबर (हेल्थ कार्नर ) :-   अक्सर सुनने में आता है कि पानी फिल्टर करने के लिए प्रयोग होने वाली तकनीकें सही नहीं क्योंकि इससे पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। ऐसा नहीं है, वाटर प्यूरीफायर में इस्तेमाल होने वाली आरओ, यूवी और आयोनाइजिंग तकनीक पानी में मौजूद बैक्टीरिया व हैवी मैटल (एल्युमीनियम, सीसा, फ्लोराइड, कैडमियम व मरकरी) को हटाने का काम करती हैं, इससे पोषक तत्वों पर खास प्रभाव नहीं पड़ता। दूषित पानी में एल्युमीनियम की मात्रा अधिक होने से न्यूरोलॉजिक्ल डिसऑर्डर, सीसा की अधिकता से खून की कमी व नसों की कमजोरी, फ्लोराइड की अधिकता से दांतों का पीलापन व हड्डी रोग होने लगते हैं।

जानिए किस प्रकार आपके सेहत का राज़ जुड़ा है आपके सेहत सेदूषित पानी: अधिक क्लोराइड वाला पानी लगातार पीने से बड़ी आंत, पेशाब की थैली, ब्लैडर व धमनियों से जुड़ा कैंसर हो सकता है।
प्यूरीफाई वाटर: साफ पानी पीने से दस्त, संक्रमण, पेट व लिवर के रोग और उपरोक्त बताए गए कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है।
बोतलबंद पानी: प्लास्टिक की बोतलों को बनाने के लिए कार्सिनोजेनिक कैमिकल  का प्रयोग किया जाता है, यह रसायन तापमान बढऩे पर पानी में मिलता जाता है। जिससे कैंसर का खतरा और महिलाओं में हार्मोन संबंधी गड़बड़ी हो सकती है। इसलिए स्टील की बोतल आदि का प्रयोग करना ज्यादा सही रहता है। घरों में भी ब्रास कोटेड (तांबे) बोतल या जग का इस्तेमाल करना चाहिए।
Disease can not enter your body with water Jagran Specialसावधानी: प्यूरीफाई तकनीक को 8-9 माह के बाद सर्विस जरूर कराएं। यह तकनीक लगवाना संभव न हो तो पानी को 100 डिग्री सेल्सियस पर 4-5 मिनट उबालने के बाद ही ठंडा कर प्रयोग में लाएं। ध्यान रहे एक बार उबाले गए पानी को 24 घंटे के भीतर इस्तेमाल कर लें वर्ना इसमें फिर से बैक्टीरिया पनपने लगते हैं।

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