लाइव हिंदी खबर :- किसी लड़की के लिए उसकी आबरू का तार—तार होना सबसे खौफनाक मंजर होता है। रेप की शिकार हुई ऐसी ही पीड़िताओं की दर्दनाक दास्तां का जिक्र बैंगलुरु के एक म्यूजियम में देखने को मिलता है। यहां मौजूद उन पीड़ित लड़कियों के कपड़े चीख—चीख कर अपने ऊपर हुए जुल्म की कहानी को बयां करते हैं। इस संग्राहलय का निर्माण बैंग्लुरु की जैसमीन पाथेजा ने किया है। अभी उन्होंने इसे अपने घर में ही बना रखा है, बाद में वह इसका विस्तार करेंगी।
जैसमीन एक आर्टिस्ट एंड एक्टिविस्ट हैं। उन्होंने इस म्यूजियम का निर्माण लड़कियों के प्रति छोटी सोच रखने वालों की मानसिकता बदलने के लिए किया है। उनका कहना है कि ज्यादातर लोग रेप के लिए लड़कियों के कपड़ों को जिम्मेदार ठहराते हैं। उन्हें लगता है कि जो लड़कियां छोटे कपड़े पहनती हैं, उन्हीं के साथ ऐसा होता है। ऐसे लोगों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है क्योंकि कपड़ों से क्राइम को कोई वास्ता नहीं होता है।
जैसमीन ने अपने घर के एक रूम को ही पूरे संग्राहलय में तब्दील कर दिया है। यहां वह उन लड़कियों के कपड़ों का संग्रह करती हैं, जो रेप पीिड़ताओं ने घटना के वक्त पहना हुआ था। जैसमीन का कहना है कि हर पीिड़त लड़की का कपड़ा उसके दर्द को बयां करता है।
कपड़ों को लेकर लड़कियों को जज करने वाले लोगों को सबक सिखाने के मकसद से जैसमीन ने एक कैंपेन शुरू किया है। इसका नाम ‘आई नेवर आस्क फ़ॉर इट’ रखा है। इसमें बताया गया है कि रेप से कपड़ों को कोई लेना—देना नहीं होता है। इस कैम्पेन को सोशल मीडिया से काफी सर्पोट मिल रहा है।
म्यूजियम में उन लड़कियों के कपड़े हैं जिनका कभी न कभी रेप किया गया हो। इसमें हर उम्र की लड़कियों के कपड़े शामिल हैं। जैसमीन घर—घर जाकर उन पीिड़त लड़कियों के कपड़े अपने संग्राहलय में जमा करती हैं। इसमें उस लड़की के भी कपड़े हैं, जिसका बैंग्लुरु में पिछले साल नए साल के मौके पर रेप किया गया था।
म्यूजियम के अलावा जैसमीन शुरू से ही महिलाओं के हक के लिए खड़ी हुईं हैं। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ हो रहे यौन हिंसा के लिए 2003 में एक संस्था भी बनाई थी। इसका नाम ब्लैक नॉइस रखा था। इस संस्था में उन्होंने पहले किशोरावस्था लड़कियों के लिए काम करना शुरु किया था।