दिल्ली में काम की तलाश में आए बंगाल और असम के कई परिवार इस समय असुरक्षा और डर में जी रहे हैं। प्रभावित लोगों का कहना है कि उन्हें उनकी भाषा और धर्म के आधार पर टारगेट किया जा रहा है।

एक परिवार ने बताया, “हम बंगाली बोलते हैं और मुस्लिम हैं, इसी वजह से हमें शक की निगाह से देखा जाता है। हमें बार-बार बांग्लादेशी कहा जाता है और बेदखली की धमकियाँ दी जाती हैं।”
लोगों ने कहा कि उन्होंने सरकार द्वारा मांगे गए सभी कागज़ात दिखा दिए, फिर भी उनसे सवाल किया जाता है कि वे बांग्लादेश से कब आए। कई परिवार मजबूरी में दिल्ली छोड़कर अपने गांव लौट रहे हैं।
इन प्रवासी मजदूरों का दर्द साफ झलकता है—“हम अपने ही देश में सुरक्षित नहीं हैं। हम घुसपैठिए नहीं, बल्कि हिंदुस्तानी हैं।”