लाइव हिंदी खबर :- हरियाणा के भिवानी जिले से निकले और ब्रिटेन में अपनी मेहनत व संघर्ष से एक नई पहचान बनाने वाले मशहूर उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल का निधन हो गया है। वे भारतीय मूल के उन सफलतम एनआरआई में से एक थे जिन्होंने न केवल विदेश में अपनी एक अलग छाप छोड़ी बल्कि भारत और ब्रिटेन के रिश्तों को मजबूत करने में भी अहम योगदान दिया।

शुरुआती जीवन और विदेश प्रस्थान
स्वराज पॉल का जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के एक साधारण परिवार में हुआ था। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने बड़े सपनों के साथ 1960 के दशक में इंग्लैंड का रुख किया। उस समय विदेश जाकर कारोबार खड़ा करना आसान नहीं था, लेकिन स्वराज पॉल ने अपनी मेहनत और दूरदृष्टि से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया।
ब्रिटेन में कारोबार की सफलता
ब्रिटेन पहुंचकर उन्होंने मेटल ट्यूब्स और स्टील के क्षेत्र में अपना कारोबार शुरू किया। धीरे-धीरे उनका बिज़नेस इतना सफल हुआ कि वे ब्रिटेन के सबसे अमीर प्रवासी उद्योगपतियों में शुमार हो गए। उन्होंने अपनी कंपनी कैपेरो ग्रुप को वैश्विक पहचान दिलाई। कारोबार में सफलता के साथ-साथ वे ब्रिटिश राजनीति और समाजसेवा में भी सक्रिय रहे। उन्हें ब्रिटिश संसद के उच्च सदन, हाउस ऑफ लॉर्ड्स, का सदस्य बनाया गया, जहां उन्होंने प्रवासी भारतीयों की समस्याओं और हितों को हमेशा मजबूती से रखा।
समाजसेवा और शिक्षा में योगदान
स्वराज पॉल ने कारोबार से अर्जित संपत्ति का बड़ा हिस्सा शिक्षा और समाजसेवा पर खर्च किया। उन्होंने भारत और ब्रिटेन दोनों देशों में कई शैक्षिक संस्थानों और समाजसेवी संगठनों को सहयोग दिया। वे मानते थे कि शिक्षा ही वह साधन है जिससे समाज में स्थायी परिवर्तन लाया जा सकता है। भारत के कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों को उन्होंने आर्थिक मदद उपलब्ध कराई।
पारिवारिक जुड़ाव और गाँव से रिश्ता
सफलता और शोहरत पाने के बावजूद स्वराज पॉल ने अपनी जड़ों से नाता कभी नहीं तोड़ा। भिवानी के उनके पैतृक गाँव में लोग आज भी गर्व से उनका नाम लेते हैं। पिछले साल उनका पोता गाँव आया था और परिवार की पुरानी जमीन-जायदाद व पैतृक घर को देखा था। यह उनकी भावनात्मक जुड़ाव और मातृभूमि से रिश्ते का प्रमाण है।
निधन से उपजा शोक
स्वराज पॉल का निधन न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि भारत और ब्रिटेन दोनों देशों के लिए एक बड़ी क्षति है। वे भारतीय मूल के उन गिने-चुने उद्यमियों में से थे जिन्होंने ब्रिटेन की आर्थिक दुनिया में अपनी मजबूत पहचान बनाई और प्रवासी भारतीयों को एक नई पहचान दिलाई। उनके निधन पर भारत और ब्रिटेन दोनों जगह उद्योग, राजनीति और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने शोक व्यक्त किया है।