लाइव हिंदी खबर :- मथुरा, उत्तर प्रदेश में संत प्रेमानंद पर आध्यात्मिक गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की टिप्पणी को लेकर संत समाज में चर्चा तेज हो गई है। इस बीच संत रामदास महाराज ने संतुलित प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “दोनों संत अपने-अपने ढंग से अद्वितीय और दिव्य हैं।”

उन्होंने कहा कि संतों का उद्देश्य समाज को सही दिशा देना और लोगों में आध्यात्मिक जागरूकता फैलाना होता है। ऐसे में उन्हें आपस में तुलना करने के बजाय उनके योगदान और शिक्षाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। संत रामदास महाराज ने स्पष्ट किया कि संत प्रेमानंद और स्वामी रामभद्राचार्य दोनों ही समाज के लिए अमूल्य धरोहर हैं।
इस बयान के बाद संत समाज में यह संदेश गया है कि आपसी सम्मान और सहयोग ही भारतीय आध्यात्मिक परंपरा की असली पहचान है। संत रामदास महाराज ने सभी अनुयायियों से भी अपील की कि वे संतों के बीच किसी प्रकार का विवाद न देखें, बल्कि उनके उपदेशों और मार्गदर्शन को अपने जीवन में उतारें।