किन्नरों की शादी का राज महाभारत से है जुड़ा, एक रात में होता है कुछ ऐसा, पलट जाती है पूरी दुनिया

लाइव हिंदी खबर :- शादी हर इंसान की जिंदगी में अहम स्थान रखता है। लड़का हो या लड़की शादी का इंतजार सभी को रहता है। लेकिन उस वर्ग का क्या जिसे समाज ने हमेशा खुद से अलग रखा है? हम यहां बात कर रहे हैं किन्नर के बारे में। आपको बता दें जैसे हमारी शादी होती है ठीक वैसे ही किन्नरों का भी विवाह होता है। अंतर केवल इतना होता है कि इनकी शादी केवल एक रात के लिए होती है और अगले दिन ये विधवा बन जाती है।

किन्नरों की शादी का राज महाभारत से है जुड़ा, एक रात में होता है कुछ ऐसा, पलट जाती है पूरी दुनिया

बता दें किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से साल में एक बार शादी करते हैं। अगले दिन अरावन देवता की मौत हो जाने पर उनका वैवाहिक जीवन समाप्त हो जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश के तमिलनाडु नामक राज्य में अरावन या इरावन देवता की आराधना की जाती है। अरावन, हिंजड़ो के देवता है इसलिए दक्षिण भारत में हिंजड़ो को अरावनी कहा जाता है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर किन्नर अपने देवता संग क्यों ब्याह रचाते हैं? क्यों ये शादी केवल एक दिन के लिए ही टिकती है? इन सारे सवालों का जवाब पाने के लिए हमें महाभारत काल का रूख करना होगा।

कहा जाता है कि एक बार अर्जुन को, द्रोपदी से शादी करने की एक शर्त का उल्लंघन के कारण इंद्रप्रस्थ से निष्कासित करके एक साल की तीर्थयात्रा पर भेज दिया जाता है। इंद्रप्रस्थ से निकलकर अर्जुन उत्तर-पूर्व भारत में जाते हैं। वहां अर्जुन एक विधवा नाग राजकुमारी उलूपी से मिलते हैं। दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो जाता है और दोनों विवाह कर लेते हैं। विवाह के कुछ समय बाद उलुपी एक पुत्र को जन्म देती है। जिसका नाम वो अरावन रखती है।

अरावन के जन्म के बाद अर्जुन,उलुपी और अपने बच्चे को वही छोड़कर अपनी आगे की यात्रा पर निकल जाते हैं। पिता के चले जाने पर अरावन नागलोक में अपनी माँ के साथ ही रहता है। युवा होने पर वो नागलोक छोड़कर अपने पिता के पास आता है। उस दौरान कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध चल रहा होता है इसलिए अर्जुन उसे युद्ध करने के लिए रणभूमि में भेज देता है।

महाभारत के युद्ध में पांडवो को अपनी जीत सुनिश्चित कराने के लिए मां काली के चरणों में नर बलि हेतु एक राजकुमार की जरुरत पड़ती है। किसी भी राजकुमार के आगे न आने पर अरावन खुद को बलि के लिए प्रस्तुत करता है। लेकिन वो शर्त रखता है की वो अविवाहित नहीं मरेगा। अरावन के इस शर्त के कारण सभी संकट में पड़ जाते हैं क्योकि कोई भी राजा,अरावन से अपनी बेटी की शादी नहीं करवाना चाहता था ये जानते हुए कि अगले दिन उसकी बेटी विधवा हो जाएगी।

समस्या का समाधान न निकलते देख भगवान श्री कृष्ण स्वंय को मोहिनी रूप में बदलकर अरावन से शादी करते हैं। अगले दिन अपने वचन के अनुसार अरावन स्वंय अपने हाथों से अपना मस्तक मां काली के चरणों में अर्पित करता है। अरावन की मृत्यु के बाद श्री कृष्ण उसी मोहिनी रूप में काफी देर तक उसकी मृत्यु का विलाप भी करते है। चूंकि श्री कृष्ण एक पुरुष होते हुए भी स्त्री रूप में अरावन से शादी रचाते हैं इसलिए किन्नर,जिन्हें स्त्री के रूप में पुरुष माना जाता है ,भी अरावन से एक रात के लिए शादी रचाते हैं।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top