जानिए दुनिया के इस सबसे अनोखे मंदिर के बारे में, जहां सूर्य की पहली किरण पड़ते ही लग जाती है लोगों का भारी भीड

लाइव हिंदी खबर :- 7वीं, 8वीं शताब्दी में बना यह मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित है। जम्मू और कश्मीर राज्य के अनंतनाग के पास बने इस मंदिर में 84 स्तंभ हैं, जो नियमित अंतराल पर रखे गए हैं। यह मंदिर विश्व के सुंदर मंदिरों की श्रेणी में भी अपना स्थान बनाए हुए है। बर्फ से ढके हुए पहाड़ों में स्थित यह मंदिर इस स्थान का करिश्मा ही कहा जाएगा। इस मंदिर से कश्मीर घाटी का मनोरम दृश्य आसानी से दिखाई देता है। जम्मू और कश्मीर राज्य के अनंतनाग नगर में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर सूर्य की पहली किरन के साथ ही मंदिर में पूजा अर्चना का दौर शुरू हो जाता है। मंदिर की उत्तरी दिशा से ख़ूबसूरत पर्वतों का नज़ारा भी देखा जा सकता हैं। यह मंदिर विश्व के सुंदर मंदिरों की श्रेणी में भी अपना स्थान बनाए हुए है।

कब हुआ था निर्माण…

चारों ओर हिमाच्छादित पहाड़ों से घिरे इस मंदिर के निर्माण में वर्गाकार चूना-पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। इस मंदिर का निर्माण कर्कोटक वंश से संबंधित राजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर सातवीं-आठवीं शताब्दी पूर्व का है। अनुमान के अनुसार यह मंदिर सन 725-756 ई बनाने की बात कही गई है। जानकारी के लिए बता दें यहां “हैदर” फिल्म के एक गाने की शूटिंग भी हुई है।

जानिए दुनिया के इस सबसे अनोखे मंदिर के बारे में, जहां सूर्य की पहली किरण पड़ते ही लग जाता है लोगों का भारी जमावड़ा

ऐसी है वास्तुकला…

करीब 1,700 वर्ष पहले कश्मीर में इस मंदिर का निर्माण सूर्य वंश के राजा ललितादित्य मुक्तापीड ने करवाया था। मार्तंड मंदिर का निर्माण भगवान सूर्य की उपासना के लिये करवाया गया था। यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला, सुंदरता के लिए मशहूर है। मार्तंड सूर्य मंदिर का प्रांगण 220 फुट से 142 फुट में फैला हुआ है। इस मंदिर की लंबाई 60 फुट और चौड़ाई 38 फुट है।

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द्वारमंडप तथा मंदिर के स्तम्भों की वास्तु-शैली रोम की डोरिक शैली से कुछ अंशों में मिलती-जुलती है। मार्तण्ड मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर कश्मीरी हिंदू राजाओं की स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है। कश्मीर का यह मंदिर वहां की निर्माण शैली को व्यक्त करता है। इसके स्तंभों में ग्रीक सरंचना का इस्तेमाल भी करा गया है।

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