ताजिकिस्तान में फंसे बिहार के मजदूरों ने की राज्य व केंद्र सरकार मदद की गुहार

ताजिकिस्तान में फंसे बिहार के मजदूरों ने की राज्य, केंद्र से बचाने की अपीललाइव हिंदी खबर :- बिहार के सीवान और अन्य जिलों के कई मजदूरों ने कहा कि वह ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं और उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार से उन्हें बचाने का अनुरोध किया। मजदूर काम करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर ताजिकिस्तान गए और आरोप लगाया कि कंपनी ने काम की अवधि 11 घंटे से बढ़ाकर 14 घंटे कर दी है और ओवरटाइम के लिए पैसा नहीं दे रही है।

मजदूरों ने कहा कि भारतीय प्लेसमेंट कंपनी परी एंटरप्राइजेज और ताजिकिस्तान स्थित कंपनी टीजीएम के साथ कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार काम की अवधि 11 घंटे है, लेकिन कंपनी उनसे जबरन 14 घंटे काम करने को कहती है। इसके अलावा, उन्हें खाने के लिए केवल उबले हुए चावल और आलू और पीने के लिए दूषित पानी दिया जाता है।

सीवान जिले में मजदूरों के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि उनमें से कई बीमार पड़ गए और काम के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नहीं हैं। सीवान के कुछ मजदूरों की पहचान हरदिया बंगरा गांव के रमाकांत कुशवाहा और रमेश कुशवाहा, ओरमा गांव के ओम प्रकाश, तेलियाबाग गांव के मंटू सिंह, नवादा गांव के मोतीम अंसारी, मोरवा गांव के नंद जी और वियाही गांव के सुनील कुमार के रूप में हुई है।

एक अन्य मजदूर हरिकेश यादव गोपालगंज जिले के भोरे कल्याणपुर का रहने वाला है। उन्होंने कहा कि बिहार के अलावा अन्य राज्यों के दर्जनों मजदूर भी ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं।

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