लाइव हिंदी खबर :- अनजान जगह जाने से पहले आपके मन में सबसे लैंडमार्क की आती है, किसी को जगह बतानी हो तो भी आप लैंडमार्क बताते हैं। लैंडमार्क आपको अपनी मंजिल तक पहुुंचने में मदद करते हैं और लैंडमार्क क्या—क्या हो सकते हैं। बिल्डिंग, शोरूम, रोड, माइलस्टोन, बोल्ड जैसी चीजें। आप सोच रहे होंगे कि ये तो सब जानते हैं, इसमें नई बात क्या है। तो नई बात ये है कि एक जगह ऐसी है, जहां लाशों को लैंडमार्क की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
तूफान से हो जाती है लोगों की मौत
एक रिपोर्ट के मुताबिक, माउंट एवरेस्ट पर करीब 200 लाशें ऐसी हैं जो सालों से वहां पड़ी हुई है। दरअसल, खराब मौसम, हिमस्खलन की वजह से कई लोग बीच सफर ही यहां दम तोड़ देते हैं। हजारों फीट ऊंचाई पर मौत हाने की वजह से लाश को नीचे लाना भी मुश्किल होता है। ऐसे में उन लाशों को वहीं छोड़कर उनका इस्तेमाल लैंडमार्क के तौर पर किया जाता है।
पर्वतारोहियों को उनका रास्ता दिखाती हैं लाशें
ये लाशें माउंट एवरेस्ट पर अन्य पर्वतारोहियों को उनका रास्ता दिखाती हैं। इन्हें लैंडमार्क की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इन लाशों को ‘ग्रीन बूट्स’ कहा जाता है। बता दें, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ रहे ज्यादातर लोगों की मौत तूफान की वजह से हो जाती है।
आराम करते—करते आ गई मौत
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हैनालोर नाम की एक महिला चढ़ाई के समय ज्यादा थक गई थीं, वह आराम करने के लिए कुछ देर के लिए लेट गई। इसी दौरान बर्फीला तूफान आया और हैनालोर वहीं मौत की नींद सो गईं। बताया जाता है केि दो पर्वतारोही एक बार हिमालय की चढ़ाई कर रहे थे। उन्हें रास्ते में एक महिला मदद के लिए गुहार लगाती सुनाई दी। वह बर्फ की मोटी चादर के नीचे दबी हुई थी और रोते हुए खुद को बचाने की मदद मांग रही थी। लेकिन, वे लोग महिला को बचा नहीं सके।