लाइव हिंदी खबर :- उत्तराखंड देवभूमि के नाम से मशहूर है। यहां कई ऐसे चमत्कारिक मंदिर है जिनके दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु साल भर यहां आते रहते हैं।
अब जब सावन का महीना चल रहा है तो हम आपको शिव जी के एक ऐसे सिद्धपीठ के बारे में बताएंगे जिसके बारे में आपने इससे पहले शायद नहीं सुना होगा। महादेव का यह सिद्धपीठ ऋषिकेश में स्थित है।
इसे लोग वीरभद्र महादेव के नाम से जानते हैं। मान्यता है कि, शिव जी की जटा से उत्पन्न उनके गण वीरभद्र ने राजा दक्ष के यज्ञ का विध्वंस किया था। तब से आज तक यह स्थान वीरभद्र के नाम से प्रसिद्ध है।
कहा जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 2000 साल से भी अधिक पुराना है। कई सालों पहले यहां मंदिर परिसर में पुरातात्विक खुदाई के दौरान पुराने मंदिरों के अवशेष मिले थे जिसे देखकर यह कहा गया था कि इस क्षेत्र में 100 ईसवी में भी सभ्यता मौजूद थी।
लोगों का कहना है कि कुछ विशेष पर्व जैसे कि पूर्णमासी, शिव चौदस व अमृत सिद्धि योग के दौरान मंदिर की घंटियां खुद ब खुद बजने लगती हैं। कहा जाता है कि इस समय देवता स्वर्ग से उतरकर इस मंदिर में पूजा करने आते हैं और तभी घंटियां अपने आप बजने लगती हैं।
स्वयं इस मंदिर के प्रतिनिधि राजेंद्र गिरि का इस बारे में कहना है कि, उक्त पर्वों के दौरान कई बार सुबह के वक्त घंटियां अपने आप बजने लगती हैं। जिसका आभास उस वक्त मंदिर में मौजूद कई श्रद्धालुओं को भी हुआ है।
ऋषिकेश में स्थित वीरभद्र महादेव का मंदिर भगवान शिव के रौद्र रूप का प्रतीक है। यहां आने वाले भक्त मंदिर परिसर में स्थित माता मुंडमालेश्वरी के मंदिर का भी दर्शन करते हैं। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
इस मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां धूप, अगरबत्ती इत्यादि के जलाने पर प्रतिबंध है क्योंकि बाजार में उपलब्ध नकली अगरबत्तियों या धूप को जलाने से इसका बुरा प्रभाव यहां आने वाले भक्तों के स्वास्थ्य पर पड़ता है जिसके चलते इन पर रोक लगा दी गई है।