99 प्रतिशत लोग नहीं जानते होंगे मरने के बाद शव ​के कान और नाक में क्यों डाली जाती है रूई

लाइव हिंदी खबर :- संसार में कोई भी जीव अपने पिछले जन्म में किए गए कार्यो के आधार पर जन्म लेता है और उसी के अनुसार सुख और दुख भोगता है। अपने कर्मो का फल भोगने के बाद वह फिर से पंचतत्व में विलीन हो जाता है। संसार में रहने के दौरान इंसान को सच और झूठ दोनों का सामना करना पड़ता है और यह एक बहुत ही आम बात है।

99 प्रतिशत लोग नहीं जानते होंगे मरने के बाद शव ​के कान और नाक में क्यों डाली जाती है रूई

लेकिन अगर कोई आपसे यह सवाल पूछें कि संसार का परम सत्य क्या है? तो इस सवाल के जवाब पर आप क्या कहेंगे?जैसा कि हम जानते हैं कि संसार में रह रहा जीव चाहें किसी भी चीज से मुंह क्यों न मोड़ लें, लेकिन मृत्यु वह सच है जिसका सामना हर किसी को करना पड़ता है। दुनिया में आए हैं तो यहां से एक न एकदिन जाना भी पड़ेगा।

इंसान की जब मौत हो जाती है तो उसकी आत्मा की शान्ति के लिए कुछ क्रियाकर्म करना पड़ता है जिसमें कुछ वक्त लगता है। इस दौरान दूर दराज से रिश्तेदारों का आना-जाना इत्यादि कुछ न कुछ होता रहता है।

दाह-संस्कार या कब्र देने से पहले कुछ देर तक शव को बाहर रखना पड़ता है। इस दौरान हम सभी ने देखा है कि मृत शरीर के नाक और कान में रूई डाली जाती है। क्या आपने कभी इस बात को जानने की कोशिश की है कि ऐसा क्यों किया जाता है?

Why Cotton Wool Is Inserted Into The Nose And Ears Of The Dead Body - ये है मौत के बाद शव ​के कान और नाक में रूई डालने की असली वजह, सच्चाई

आइए इस बारे में हम आपको पूरी बात बात बताते हैं-

सबसे पहले बता दें, इसके पीछे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारण है। सबसे पहले बात करते हैं वैज्ञानिक कारण की। दरअसल, मौत के बाद इंसान के कान और नाक से एक विशेष द्रव निकलता है। इस द्रव के बहाव को रोकने के लिए ऐसा किया जाता है। इसके साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि मृत्यु के बाद शरीर में किसी तरह की कोई बैक्टीरिया प्रवेश न कर जाए इस वजह से नाक और कान के छिद्र को रूई से ढक दिया जाता है।

marne ke baad kaan or naak mein kyu daali jati hai rui

ये तो रही वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात, अब जरा गौर फरमाते हैं आध्यात्मिक कारण पर। गरुण पुराण के अनुसार शव के खुले हुए हिस्सों में सोने का कण (साधारण भाषा में तुस्स) रखे जाने की मान्यता है।

इन्हें शरीर के नौ अंगो में रखा जाता है जिसमे नाक, कान, आंख, मुंह इत्यादि शामिल है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है की सोना अत्यंत पवित्र धातु है। मृत शरीर के इन भागों में स्वर्ण रखने से उस देह की आत्मा को सद्गति मिलती है। नाक और कान के छेड़ अपेक्षाकृत बड़े होते हैं उनमे से वह तुस्स गिर न जाए इसी सावधानी के चलते रुई से द्वार को रोध कर दिया जाता है।

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