बेहद रहस्मयी और खतरनाक है ये पर्वत, कोई नहीं जान पाया इसका रहस्य, पलक झपकते ही गायब हो जाते हैं लोग

लाइव हिंदी खबर :- दुनियाभर में तमाम ऐसी जगहें हैं जहां पर जाने पर आपको अजीबों गरीब अनुभव हो सकते हैं। अगर बात करें भारत की तो यहां पर भी ऐसी जगहों की भरमार हैं जहां पर जाने पर आपको किसी की मौजूदगी का एहसास हो जाएगा। आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बनी हुई है। ये जगह उत्तराखंड के टिहरी में स्थित है, कहा जाता हैं कि रात होने के बाद यहां पर आत्माएं भटकती हैं।

बेहद रहस्मयी और खतरनाक है ये पर्वत, कोई नहीं जान पाया इसका रहस्य, पलक झपकते ही गायब हो जाते हैं लोग

ऊंचाई है 1000 फीट

यह अजीबो-गरीब स्थान टिहरी जिले में स्थित दस हजार फिट ऊंचे खैंट पर्वत पर स्थित है। कुछ लोग इस पर्वत को भूतहा मानते हैं कुछ के हिसाब से यहां पर देवी का वास है। दरअसल कई लोगों ने इस पर्वत पर किसी शक्तिशाली ताकत को महसूस किया है। स्थानीय निवासियों की मानें तो यहां पर देवी का निवास है जो इंसानों की रक्षा करती हैं। इस पर्वत की ऊंचाई समुद्रतल से 1000 फीट है।

अद्भुत शक्ति का एहसास

टिहरी जिले के फेगुलीपट्टी में स्थित थात गांव से 5 किलोमीटर की दूरी पर एक मंदिर है जिसे खैंट खाल के नाम से जाना जाता है। स्थानीय निवासियों की मानें तो खैंट पर्वत की नौ श्रंखलाओं में नौ देवियां का वास है और इसीलिए जो कोई यहां पर जाता है उसे अलौकिक शक्ति का एहसास होता है। ऐसे तमाम लोग हैं जिन्होंने यहां पर कुछ अजीब चीजे देखीं हैं और उन्हें महसूस भी किया है।

यह पर्वत इतना रहस्य्मयी है कि इसका रहस्य सुलझाने के के लिए एक बार अमेरिका की मैसाच्युसेट्स यूनिवर्सिटी से वैज्ञानिकों की टीम आयी थी जो इस पर्वत पर रीसर्च क्र रही थी। लम्बे समय तक चली इस रीसर्च के दौरान वैज्ञानिकों के हाथ कुछ भी नहीं लगा लेकिन उन सभी ने यहां की अद्भुत शक्ति को महसूस जरूर किया था और वो भी इस चीज से हैरान थे।

लोगों को उठा लेती हैं आत्माएं

कहते हैं कि यहां पर जो आत्माएं रहती हैं वो अगर आपको देख लें तो आपका बचना मुश्किल हैं, इसीलिए यहां पर तेज आवाज में बात करना, चटक रंगों के कपड़े पहनना और वाद्य यंत्र बजाने की मनाही है। ऐसा कहा जाता है कि आत्माओं को अगर कोई पसंद आ जाता है तो उसे अपने साथ उठा ले जाती हैं। इसके बाद उस शख्स का कोई सुराग नहीं मिलता है।

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